विश्व हाथी दिवस: हाथी हमारे साथी, हर पल करते हैं जंगल की रखवाली, कहानी राजू, लाली, सावन व फागू हाथी की
चार हाथियों को दल प्रतिदिन 10 से 15 किमी तक पैट्रोलिंग के बाद दल सिहावल सागर स्थित कैंप में आराम फरमाते हैं। राजू हाथी तो इतना उपयोगी हो गया कि प्रदेश के अलग-अलग वनमंडल में पहुंचकर टाइगर मानिटरिंग या फिर आबादी क्षेत्र में पहुंचे हाथियों को जंगल की ओर खदेड़ने में सहयोग देता है। कैंप में इन्हें काफी जतन से रखा गया है। इनके लिए आहार से लेकर स्नान व अन्य सुविधाएं हैं।
अचानकमार टाइगर रिजर्व पहले केवल सेंचुरी हुआ करता था। टाइगर रिजर्व बनने के बाद प्रबंधन यहां की सुरक्षा व्यवस्था बढ़ाने का हर संभव प्रयास कर रहा है। सुरक्षा के मद्देनजर टाइगर रिजर्व में पर्यटकों के सैर का दायरा भी 20 प्रतिशत सीमित कर दिया।
जंगल की सुरक्षा की कमान लाली, राजू व सावन संभालते रहें
सिविल बहादुर तो जिंदा नहीं है। उसके जाने के बाद लाली अकेली रह गई थी। बाद में राजनांदगांव वनमंडल से वर्ष 2013 में राजू नाम के हाथी को अचानकमार लाया गया। धीरे-धीरे इनका कुनबा बढ़ता चला गया। वर्तमान में यहां चार हाथी हैं। इनमें से एक का जन्म अचानकमार में ही हुआ है। जंगल की सुरक्षा की कमान अभी लाली, राजू व सावन संभालते हैं। इनके लिए अचानकमार रेंज के सिहावाल सागर में सुरक्षित रहवास बनाया गया है।
वहां बकायदा शेड भी बना है, ताकि धूप या बरसात में परेशानी न हो। कैंप में शिव मोहन राजवाड़े महावत और चार सहयोगी इन हाथियों की देखभाल करते हैं। महावत को साथ लेकर ही वन अमला हाथियों से ऐसी जगहों पर पैट्रोलिंग करता है, जहां पहुंचने में पहले दिक्कत होती थी। जब से हाथियों के जरिए पैट्रोलिंग की शुरुआत हुई है, शिकारी या लकड़ी तस्कर भीतर घुसने से घबराते हैं। विभाग इनकी पैट्रोलिंग से संतुष्ट है।