बांस बनी ढाल, बेटा बना योद्धा... पिता के लिए जंगली भालू से भिड़ा 10 साल का 'हीरो', एंबुलेंस बुलाकर अकेले ले गया अस्पताल
रायपुर: छत्तीसगढ़ के अबूझमाड़ में एक 10 साल के बहादुर बच्चे ने अपने पिता की जान बचाने के लिए भालू से लड़ाई की। सोमवार को दीपेंद्र नेताम अपने पिता के साथ बांस इकट्ठा करने जंगल गया था। तभी एक भालू ने उनके पिता पर हमला कर दिया। दीपेंद्र ने बांस से भालू को भगाया और अपने घायल पिता को कई किलोमीटर दूर गांव पहुंचाया। वहां से एम्बुलेंस बुलाकर उन्हें दंतेवाड़ा जिला अस्पताल में भर्ती कराया। दीपेंद्र की बहादुरी की अब हर तरफ चर्चा हो रही है।
बांस इकट्ठा कर रहे थे पिता पुत्र
घटना छत्तीसगढ़ के घने जंगलों वाले अबूझमाड़ इलाके में सोमवार को हुई। दीपेंद्र के पिता, वंजाराम, बांस इकट्ठा कर रहे थे, तभी एक भालू ने उन पर हमला कर दिया। दीपेंद्र ने बिना डरे बांस की छड़ी से भालू पर वार किया और उसे भगा दिया।
घायल पिता को पहुंचाया गांव
इस बहादुर बच्चे ने हिम्मत नहीं हारी। अपने घायल पिता को सहारा देकर कई किलोमीटर पैदल चलकर नजदीकी गांव पहुंचा। वहां से उसने एम्बुलेंस का इंतजाम किया और अपने पिता को दंतेवाड़ा जिला अस्पताल पहुंचाया। यह अस्पताल रायपुर से लगभग 360 किमी दूर है।
अस्पताल कर्मियों ने भी की दीपेंद्र की तारीफ
अस्पताल के कर्मचारियों ने दीपेंद्र की बहादुरी की तारीफ की। दीपेंद्र ने कहा, 'वह मेरे पिता हैं। मैं उन्हें कैसे छोड़ सकता था?' यह सुनकर सभी भावुक हो गए। दीपेंद्र पांचवी कक्षा का छात्र है। वह आमतौर पर स्कूल जाता है। लेकिन सोमवार को उसने अपने पिता के साथ जंगल जाने की जिद की। वह अपने पिता के साथ बांस इकट्ठा करना चाहता था। उसके पिता ने उसकी जिद मान ली। वे दोनों हंदवाड़ा जंगल गए। यह जंगल रायपुर से लगभग 350 किलोमीटर दूर है। यह माओवादियों का गढ़ माना जाता है।
हंदवाड़ा का खूबसूरत झरना दिखाने ले गए थे पिता
वंजाराम ने दीपेंद्र को हंदवाड़ा झरने पर ले जाने का वादा भी किया था। हंदवाड़ा झरना बहुत ही खूबसूरत है। यह इस इलाके का एक प्रमुख पर्यटन स्थल है। बांस इकट्ठा करने के बाद, वे झरने पर जाने वाले थे। लेकिन इससे पहले ही भालू ने हमला कर दिया।