वर्मी कंपोस्ट एक लाभदायक व्यवसाय डॉ प्रीति मिश्रा
। *वर्मी कम्पोस्ट एक लाभदायक व्यवसाय- डॉ प्रीति मिश्रा*
डॉ.राधाबाई शासकीय नवीन कन्या महाविद्यालय रायपुर छत्तीसगढ़ में नई शिक्षा नीति के तहत कौशल विकास पाठ्यक्रम के अंतर्गत वर्मी कल्चर एवं वर्मी कम्पोस्ट पर आधारित एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया।यह कार्यशाला महाविद्यालय के छात्राओं के साथ-साथ अन्य महाविद्यालय के छात्र छात्राओं हेतु निशुल्क रखी गई थी। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता के तौर पर इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के बायोटेक्नोलॉजी टिश्यू कल्चर विभाग के सीनियर टेक्नीशियन खूबचंद वर्मा जी ने छात्राओं को प्रायोगिक तौर पर वर्मी कल्चर व कम्पोस्ट बनाना सिखाया।इस कार्यशाला में छात्राओं ने स्वयं ही वर्मी बेड बनाने तथा केंचुए की पहचान करना सीखा साथ ही छात्राओं को जैविक खेती की महत्वता एवं वर्मी कंपोस्टिंग के द्वारा स्वयं की आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ बनाने व कृषि क्षेत्र में अपना योगदान देकर भूमि संरक्षित करने के विषय में जानकारी दी। उक्त कार्यशाला में महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ. प्रीति मिश्रा नेअपने उद्बोधन में कहा कि वर्मी कम्पोस्ट व्यवसाय एक ऐसा व्यवसाय है,जहाँ केंचुओं का उपयोग करके खाद बनाई जाती है।यह एक टिकाऊ और लाभदायक व्यवसाय है,जो जैविक खेती को बढ़ावा देता है। और मिट्टी की उर्वरता को बढ़ाता है।छात्रों को एक स्थिर एवं उपयोगी कृषि तथा वर्मी कंपोस्ट के महत्व को समझाया गया।उक्त कार्यक्रम में राष्ट्रीय शिक्षा नीति की महाविद्यालयीन प्रमुख डॉ. दीप्ति झा एवं डॉ ज्योति मिश्रा उपस्थित रही। कार्यशाला का आयोजन प्राणी शास्त्र परिषद द्वारा किया गया।कार्यशाला का सफल संचालन परिषद प्रभारी एवं संयोजक डॉ. श्वेता अग्निवंशी ने किया।कार्यक्रम के समापन में छात्राओं को वर्मी कंपोस्ट का वितरण किया गया।